Details, Fiction and sidh kunjika
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में website कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
Swamiji suggests, “A persuasive wish is something that makes us stand up and also to the fullest capability assert ourselves towards the furtherance of the intention. The real key will be to target the mantras.”
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।